मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना राजस्थान – ₹7 प्रति लीटर की सहायता योजना शुरू, डेयरी किसान कैसे उठाएं लाभ

Mukhyamantri Dugdh Utpadak Sambal Yojana by Rajasthan government offers up to ₹7 per liter financial aid to dairy farmers in border districts. This scheme benefits over 20,000 registered farmers in Udaipur, Banswara, Barmer, and Jalore by modernizing dairy plants and increasing farmer income through direct subsidies.

  • मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत राजस्थान के सीमावर्ती जिलों के डेयरी किसानों को प्रति लीटर ₹7 तक की सहायता दी जाती है।
  • उदयपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर और जालोर के 20,786 पंजीकृत डेयरी किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता और डेयरी प्लांटों के आधुनिकीकरण का लाभ मिल रहा है।
  • यह योजना गुजरात सीमा से लगे जिलों में राज्य सीमा डेयरी विकास नीति के माध्यम से किसानों की आय और डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाई जा रही है।

राजस्थान सरकार ने सीमावर्ती जिलों — उदयपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर और जालोर (रानीवाड़ा) — के डेयरी किसानों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है। मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत इन जिलों के पंजीकृत डेयरी किसानों को प्रति लीटर दूध पर ₹7 तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी। सरकार की इस पहल का उद्देश्य गुजरात सीमा से सटे इलाकों में डेयरी क्षेत्र को मजबूती देना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। योजना के माध्यम से न केवल किसानों को आर्थिक सहयोग मिलेगा, बल्कि डेयरी व्यवसाय को आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

राजस्थान में राज्य सीमा डेयरी विकास नीति को समझें

इस विशेष नीति के तहत, राजस्थान डेयरी विभाग ने इन चार जिलों के डेयरी उत्पादकों के लिए एक लक्षित कार्य योजना तैयार की है। इस योजना में डेयरी प्लांटों को आधुनिक मानकों पर अपग्रेड करने के साथ-साथ पंजीकृत डेयरी किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के लाभ

आपको इस योजना के अंतर्गत दूध पर प्रति लीटर ₹5 की सब्सिडी और अतिरिक्त ₹2 प्रति लीटर बोनस मिलेगा। इस प्रकार कुल ₹7 प्रति लीटर की सहायता सीधे पात्र डेयरी किसानों के खाते में स्थानांतरित की जाएगी।

कौन उठा सकता है लाभ और कितने किसान लाभान्वित होंगे?

इन जिलों के लगभग 20,786 पंजीकृत डेयरी किसान इस योजना से लाभान्वित होंगे। उदयपुर में सबसे अधिक 11,447 किसान हैं, इसके बाद जालोर-रानीवाड़ा क्षेत्र में 5,160 किसान हैं। बाड़मेर और बांसवाड़ा में क्रमशः 2,226 और 1,953 लाभार्थी हैं। ये जिले मिलकर प्रतिदिन लगभग 1.75 लाख लीटर दूध का उत्पादन करते हैं, जिससे यह योजना अत्यंत प्रभावशाली बनती है।

Also Read – विद्या संबल योजना 2025: राजस्थान में नए दिशा-निर्देश जारी, गेस्ट फैकल्टी भर्ती प्रक्रिया शुरू

डेयरी क्षेत्र का विकास और सरकार का समर्थन

राजस्थान के पशुपालन, डेयरी और गोपालन मंत्री श्री जोराराम कुमावत ने राजस्थान सहकारी डेयरी संघ की प्रबंध निदेशक श्रीमती श्रुति भारद्वाज को इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं। यह नीति न केवल किसानों को राहत देने के उद्देश्य से है बल्कि डेयरी व्यवसाय को मजबूत करने और इन सीमावर्ती क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए भी है।

इस पहल के माध्यम से आप अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद कर सकते हैं, साथ ही अपने डेयरी व्यवसाय को विस्तार देने के अवसर भी प्राप्त होंगे। यह योजना राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में डेयरी उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Leave a Comment