हरियाणा सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए भावांतर भरपाई योजना में मधुमक्खी पालन जोड़ा

Haryana includes honey under Bhavantar Bharpai Yojana, promoting beekeeping with subsidies and facilities to boost farmers' income and honey production.

  • हरियाणा ने मधुमक्खी पालन करने वालों को सहयोग देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए भावांतर भरपाई योजना में शहद को शामिल किया है।
  • राज्य में शहद उत्पादन और गुणवत्ता जांच के लिए इंटीग्रेटेड बीकीपिंग डेवलपमेंट सेंटर और क्वालिटी कंट्रोल लैबोरेटरी स्थापित की गई है।
  • मधुमक्खी पालन उपकरणों पर 85% तक सब्सिडी उपलब्ध है, जिसमें महिलाओं और युवाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया गया है।

हरियाणा ने भावांतर भरपाई योजना में शहद को शामिल कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और मधुमक्खी पालकों को सहयोग देना है। यह राज्य की खेती में विविधता लाने और शहद उत्पादन बढ़ाने की पहल का हिस्सा है। अब इस योजना में शहद की बिक्री, भंडारण और गुणवत्ता जांच की सुविधाएं भी शामिल हैं, जिससे मधुमक्खी पालन को पूरा सहयोग मिल रहा है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की कि शहद को अब भावांतर भरपाई योजना में शामिल किया गया है, जैसा कि पहले बागवानी फसलों के साथ किया गया था। इस योजना का उद्देश्य मधुमक्खी पालकों को वित्तीय सहयोग और बाजार उपलब्ध कराना है, जिससे वे अधिक शहद उत्पादन करें और अपनी आजीविका में सुधार लाएं।

Bhavantar Bharpai Yojana
Bhavantar Bharpai Yojana Update

हरियाणा में मधुमक्खी पालन की सुविधाएं और ढांचा

राज्य ने इज़राइल की साझेदारी से कुरुक्षेत्र के रामनगर में इंटीग्रेटेड बीकीपिंग डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किया है। यह केंद्र किसानों को प्रशिक्षण देता है और शहद बिक्री का केंद्र भी है। साथ ही, 20 करोड़ रुपये की लागत से एक क्वालिटी कंट्रोल लैब बनाई जा रही है, ताकि राज्य में उत्पादित शहद की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

मधुमक्खी पालन नीति और उत्पादन लक्ष्य

हरियाणा की मधुमक्खी पालन नीति – 2021 के स्पष्ट लक्ष्य हैं, जिनमें 7,750 मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षण देना और 2030 तक 15,500 मीट्रिक टन शहद उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करना शामिल है। यह नीति वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देती है और हरियाणा को इस क्षेत्र में राष्ट्रीय अग्रणी बनाने का प्रयास करती है।

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मधुमक्खी पालकों के लिए सब्सिडी और आर्थिक सहायता

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार मधुमक्खी के बक्सों, कॉलोनियों और उपकरणों पर 85% तक सब्सिडी देती है। यह आर्थिक लाभ किसानों की प्रारंभिक लागत को कम करते हैं और आधुनिक मधुमक्खी पालन तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

महिलाओं और युवाओं के लिए अवसर

मधुमक्खी पालन में बहुत कम जमीन की आवश्यकता होती है और यह महिलाओं व युवाओं के लिए स्वरोजगार का बेहतरीन विकल्प है। सरकार उन्हें शहद ब्रांड बनाने और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के जरिए वैश्विक स्तर पर उत्पाद बेचने में मदद करती है। हर कदम पर आर्थिक सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन दिया जाता है ताकि वे सफल हो सकें।

मधुमक्खी पालन से किसानों की आय और फसल वृद्धि

मधुमक्खी पालन से न केवल अतिरिक्त आय मिलती है बल्कि परागण के माध्यम से फसल उत्पादन भी बेहतर होता है। यह खेती में विविधता लाकर किसानों की आर्थिक स्थिरता बढ़ाता है और हरियाणा की कृषि प्रगति को मजबूती देता है।

पहलूविवरण
इंटीग्रेटेड बीकीपिंग डेवलपमेंट सेंटर स्थानरामनगर, कुरुक्षेत्र
क्वालिटी कंट्रोल लैब लागत20 करोड़ रुपये
2030 तक शहद उत्पादन लक्ष्य15,500 मीट्रिक टन
प्रशिक्षित किए जाने वाले मधुमक्खी पालक7,750
उपकरण पर सब्सिडी85% तक
आधिकारिक वेबसाइटhttps://bby.hortharyana.gov.in

इन प्रयासों के साथ, हरियाणा स्वीट रिवॉल्यूशन का नेतृत्व कर रहा है, जिससे किसानों, मधुमक्खी पालकों, महिलाओं और युवाओं को लाभ मिलेगा। भावांतर भरपाई योजना में शहद को शामिल कर राज्य किसानों की आय बढ़ाने और टिकाऊ कृषि विकास को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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