- उत्तर प्रदेश के बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना के लाभ फिर से मिलेंगे।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जिन विज्ञापनों के आधार पर नियुक्ति हुई थी, उन्हें पुरानी पेंशन योजना में जोड़ा जाएगा।
- यूपी सरकार ने शिक्षकों की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस योजना को दोबारा शुरू करने का फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश के शिक्षकों के लिए पुरानी पेंशन योजना का फिर से शुरू होना
उत्तर प्रदेश में बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों को अब फिर से पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत फायदे मिलने लगे हैं। कई समय से चली आ रही इस मांग को ध्यान में रखते हुए 22 अप्रैल 2025 को बेसिक शिक्षा विभाग में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें पुराने विज्ञापन के आधार पर नियुक्त शिक्षकों के लिए OPS योजना को दोबारा लागू करने की सहमति बनी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और इसका असर
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर किसी पद के लिए विज्ञापन 2004 से पहले जारी हुआ था, तो उस पद पर नियुक्त शिक्षक पुरानी पेंशन योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के हकदार होंगे। इसलिए, जिन शिक्षकों की नियुक्ति नई पेंशन योजना लागू होने के बाद हुई हो लेकिन विज्ञापन पुराने हों, उन्हें अब OPS में शामिल किया जाएगा। इससे उत्तर प्रदेश के 46000 से ज्यादा शिक्षक फायदा उठाएंगे।
बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों और अधिकारियों की बैठक
बेसिक शिक्षा मंत्री और अन्य अधिकारियों के साथ बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों के प्रतिनिधि मंडल ने अपनी मांगें और दलीलें रखीं। उन्होंने बताया कि तकनीकी कारणों से वे नई पेंशन योजना के तहत आ गए थे, जबकि उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए था। अधिकारियों ने उनकी बात ध्यान से सुनी और उनका समर्थन किया।
पुरानी पेंशन योजना बनाम नई पेंशन योजना
पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को नियमित और निश्चित पेंशन मिलती है, जो उनकी अंतिम बेसिक सैलरी पर आधारित होती है। इसके विपरीत नई पेंशन योजना का पेंशन फंड मार्केट से जुड़ा होता है, जो कभी-कभी अस्थिर हो सकता है। इसलिए, पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित विकल्प मानी जाती है।
यूपी सरकार का शिक्षकों को बड़ा तोहफा
उत्तर प्रदेश सरकार का पुरानी पेंशन योजना को दोबारा शुरू करने का फैसला शिक्षा क्षेत्र के हजारों कर्मचारियों के लिए आर्थिक सुरक्षा का बड़ा संदेश है। इससे उनकी आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी, और यह दूसरे राज्यों के कर्मचारियों के लिए भी प्रेरणा बनेगा। शिक्षा विभाग का यह कदम कर्मचारियों की खुशहाली और सम्मान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।