बिहार में मछली पालन सब्सिडी योजना: देशी मछलियों से कमाएं मुनाफा

Explore Bihar's Matsya Prajati Vividikaran Yojana offering up to 60% subsidy to farmers for indigenous fish farming, boosting income and rural economy.

  • मत्स्य प्रजाति विविधीकरण योजना में किसानों को 60% तक सब्सिडी का फायदा मिलेगा।
  • आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है, दस्तावेज तैयार रखें।
  • 31 अगस्त 2025 तक आवेदन कर सकते हैं, देशी मछली पालन से अपनी आय बढ़ाएं।

मछली पालन सब्सिडी योजना – बिहार सरकार की मत्स्य प्रजाति विविधीकरण योजना किसानों को देशी मछली पालन के क्षेत्र में आर्थिक मदद देने का एक अच्छा मौका ले कर आई है। इस योजना के तहत आप देशी मछलियों की खेती पर 60% तक सब्सिडी पाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं और साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं। अगर आप इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो इस लेख में दिए गए आवेदन प्रक्रिया, पात्रता और भूमि आवश्यकताओं को ध्यान से पढ़ें।

मत्स्य प्रजाति विविधीकरण योजना में सब्सिडी कैसे लें?

इस योजना के तहत किसानों को देशी मछलियों जैसे माइनर कार्प और कैट फिश की हैचरी स्थापित करने के लिए 60% तक की सब्सिडी मिलती है। सब्सिडी योजना के अंतर्गत सभी जरूरी घटकों के लिए उपलब्ध है, जिसमें आपको केवल 40% राशि खुद या बैंक लोन के जरिए जमा करनी होती है। यह आर्थिक मदद बिहार के सभी जिलों में 2025-26 के लिए लागू की गई है।

योजना के तहत आवेदन कैसे करें?

आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है जिससे आप अपने घर से ही आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करते समय ये दस्तावेज चाहिए होंगे:

  • पासपोर्ट साइज फोटो (स्व-प्रमाणित)
  • आधार कार्ड
  • जमीन के दस्तावेज
  • सहमति पत्र (अगर खर्च इकाई लागत से ज्यादा हो)
  • लीज एग्रीमेंट या जमीन का स्वामित्व प्रमाण पत्र

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यह योजना किसके लिए है?

यह योजना बिहार के उन किसानों के लिए है जिनके पास कम से कम 9 साल के लिए निजी या लीज पर भूमि हो। योजना में प्राथमिकता उन किसानों को दी जाती है जो देशी मछलियों का पालन कर अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं और जिनके पास बिना विवाद के कम से कम 0.25 से 1 एकड़ जल क्षेत्र हो।

मत्स्य पालन के लिए भूमि और इकाइयों की जरूरतें

मत्स्य पालन के लिए भूमि जरूरी है जिसमें निजी, लीज या सरकारी बंदोबस्त तालाब हो सकते हैं। हैचरी स्थापना के लिए कम से कम 1 एकड़ विवाद रहित भूमि अहम है। एक व्यक्ति या परिवार 0.25 से 1 एकड़ जल क्षेत्र में पालन कर सकता है। ध्यान दें कि सब्सिडी केवल हैचरी या पालन में से किसी एक के लिए मिलती है।

देशी मछलियों का महत्व और योजना का मकसद

देशी मछलियां जैसे माइनर कार्प और कैट फिश अपनी पोषण गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। इस योजना का मकसद बिहार के जल संसाधनों में उनकी उपस्थिति बढ़ाकर किसानों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है। यह योजना मत्स्य पालन के क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से सफल विकल्प देती है।

आवेदन की आखिरी तारीख और आगे की जानकारी के स्रोत

अगर आप इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं तो 31 अगस्त 2025 तक आवेदन करें। आवेदन के लिए सरकारी वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरें। योजना से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।

सब्सिडी दर

60% तक सब्सिडी सभी घटकों के लिए।

भूमि की न्यूनतम आवश्यकता

कम से कम 9 साल के लिए निजी/लीज पर भूमि।
हैचरी के लिए १ एकड़ बिना विवाद वाली भूमि।

आवेदन अंतिम तिथि

31 अगस्त 2025 तक आवेदन करना जरूरी।

बिहार की मत्स्य प्रजाति विविधीकरण योजना देशी मछली पालन के जरिये ग्रामीण किसानों के लिए आय के नए रास्ते खोलती है। इसे अपनाकर आप अपनी मेहनत का सही फल पाएंगे और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में योगदान देंगे।

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